1979 में चाचेस्कू ब्रिटेन गए जहाँ वो महारानी एलिज़ाबेथ के साथ बग्घी पर बैठ कर लंदन की सड़कों पर गुज़रे. उनको बकिंघम पैलेस में ठहराया गया. उस समय वहां अटपटी स्थिति पैदा हो गई जब चाचेस्कू के अंगरक्षकों ने उनको दिए जाने वाले भोजन को पहले खुद चखा. जॉन स्वीनी ने अपनी किताब ' द लिफ़ एंड ईविल टाइम्स ऑफ़ निकोलाई चासेस्कू' में लिखा, "ऊपर से तो चासेस्कू की यात्रा बहुत सफल दिखाई दे रही थी, क्योंकि महारानी ने उन्हें प्वाएंट 270 बोर की एक टेलिस्कोपिक राइफ़ल भेंट में दी और एलीना को सोने और हीरे का एक 'ब्रोच' उपहार में मिला." "बकिंघम पैलेस उस ज़माने में और आज भी अपनी शानदार मेहमाननवाज़ी और बेहतरीन खानपान के लिए मशहूर है. लेकिन उनको भी ये देख कर बहुत धक्का लगा कि चासेस्कू हर एक शख़्स से हाथ मिलाने के बाद अल्कोहल से अपने हाथ धोया करते थे." "चासेस्कू के 'स्वीट' के तीनों बाथरूम में इस उद्देश्य से अल्कोहल की एक एक बोतल रखवाई गई थी." स्वीनी आगे लिखते हैं, "महारानी को ये समझने में ज़्यादा देर नहीं लगी कि उनकी छत के नीचे एक असमान्य व्यक्त