शेखर कपूर ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, "जब मनमोहन सिंह
से पूछा गया कि वह मज़बूत और कड़े फैसले क्यों नहीं ले पाए तो उन्होंने
कहा, ''गठबंधन की राजनीति की यही प्रकृति होती है', लोकतंत्र एक स्वस्थ और
जीवंत विपक्ष से मज़बूत होता है और कमज़ोर गठबंधन की राजनीति से कमज़ोर
होता है. भारत को एक मज़बूत केंद्रीय सरकार की ज़रूरत है."
सोशल मीडिया पर शेखर कपूर के इस बयान को मोदी के समर्थन में देखा जा रहा है.
इसकी एक वजह यह है कि बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में ख़ुद को एक मज़बूत सरकार के रूप में प्रचारित किया है और मतदाताओं से इस वजह को ध्यान में रखते हुए वोट डालने की अपील की है.
लेकिन शेखर कपूर के इस बयान पर कुछ लोग विरोध जता रहे हैं तो कुछ उनके समर्थन में बातें कर रहे हैं.
फ़िल्म निर्माता सिद्धार्थ बासु ने शेखर कपूर को उनके ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है, "शेखर, क्या आप ये बात गंभीरता से कह रहे हैं? बीते पांच सालों में मज़बूत और केंद्रीकृत सरकार से क्या हासिल हुआ? जो वादे किए गए थे उन्हें पूरा करने में ये सरकार विफल रही, कुछ सख़्त कदम उठाए गए जिनसे अर्थव्यवस्था को नुक़सान हुआ, संस्थाओं को बुरी बर्बाद किया गया, हत्या करने वाली भीड़ को खुला छोड़ा गया और युद्ध की बात करने वाले बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया गया."
वहीं, एक वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने लिखा है, "गठबंधन की राजनीति ने देश को 1947 में आज़ादी, 1977 में लोकतंत्र, 1991 में आर्थिक सुधार, 2004 में सर्वश्रेष्ठ सरकार दी है. भारत एक गठबंधन है."
बीआर प्रसाद नामक एक शख़्स ने शेखर कपूर के ट्वीट पर सहमति जताते हुए लिखा है, ''बिलकुल सही बात है, ट्विटर और एफ़बी पर एलीट लोग कुछ भी कहें, लेकिन पिछले पांच साल में भारत की पहचान और सम्मान वैश्विक तौर पर बढ़ा है. हालांकि हम विकास के मुद्दे पर अभी भी कुछ देशों से लगभग 100 साल पीछे चल रहे हैं. हमें एक मज़बूत और पूर्ण बहुमत वाली सरकार की ज़रूरत है.''
संतोष कुमार नामक ट्विटर यूज़र ने लिखा, ''एक मज़बूत सरकार ही कड़े फ़ैसले ले सकती है. जातिवाद, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोज़गारी यह सब बुराइयां इस सरकार से पहले भी मौजूद थीं. लेकिन इस सरकार ने भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और महिला सशक्तिकरण पर अच्छा काम किया है.''
कई ट्विटर यूज़र्स ने कथित रूप से मोदी सरकार के समर्थन में ट्वीट करने के लिए शेखर कपूर का शुक्रिया अदा किया है. आलोक जोशी नाम के ट्विटर यूज़र कहते हैं कि शेखर जी, वही तो लोग भी कह रहे हैं, फिर एक बार मोदी सरकार.
हालांकि, सोशल मीडिया शेखर कपूर के बयान पर बँटा हुआ दिखाई दे रहा है.
कई लोगों ने उन्हें मोदी भक्त की श्रेणी में खड़ा कर दिया है. लेकिन उनके बयान से ये स्पष्ट नहीं होता है कि वह किस पक्ष का समर्थन कर रहे हैं.
इस केंद्र को इस लिए बनाया जा रहा है क्योंकि वर्तमान समय में पृथ्वी पर ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उठाए जा रहे क़दम नाकाफ़ी लग रहे हैं.
यह पहल ब्रितानी सरकार के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर सर डेविड किंग की ओर से कराई जा रही है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, ''आने वाले 10 सालों में हम जो भी करेंगे वह मानव जाति के अगले दस हज़ार सालों का भविष्य तय करेगा. इस दुनिया में ऐसा कोई भी एक केंद्र नहीं है दो इस बेहद महत्वपूर्ण विषय पर फ़ोकस हो.''
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डॉक्टर एमिली शुकबर्ग ने कहा, ''नए सेंटर का मिशन जलवायु समस्या को हल करना होना चाहिए और हम उस पर विफ़ल नहीं हो सकते."
सेंटर फॉर क्लाइमेट रिपेयर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कार्बन न्यूट्रल फ्यूचर्स इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व डॉक्टर शुकबर्ग कर रही हैं.
ये मुहिम सामाजिक वैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक साथ लाएगी.
डॉक्टर शुकबर्ग ने बीबीसी को बताया, "यह वास्तव में हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है, और हम जानते हैं कि हमें अपने सभी कोशिशों के साथ इसका जवाब देने की आवश्यकता है.''
ध्रुवों की बर्फ़ दोबारा जमाना
ध्रुवों पर बर्फ़ को जमाने की कोशिशों में सबसे कारगर कदमों में से एक होगा इनके ऊपर पड़ने वाले बादलों को "चमकदार" करना है.
इसके लिए बेहद पतली नली के माध्यम से बिना मानव रहित जहाजों पर लगाया जाएगा और समुद्री पानी को को पंप से खींचा जाएगा.
इससे नमक के कण नली में आएंगे. इन नमक को बादलों तक पहुंचाया जाएगा. इससे बादल गर्मी को और भी ज़्यादा रिफ़्लेक्ट कर सकेंगे.
CO2 को रिसाइकल करना
जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक और अहम तरीका है ' कार्बन कैप्चर और स्टोरेज' जिसे सीसीएस कहते हैं.
सीसीएस में कोयले या गैस से निकालती कार्बन डाई ऑक्साइड को बिजली स्टेशनों या इस्पात संयंत्रों से इकट्ठा करना और इसे अंडरग्राउंड स्टोर किया जाता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफ़ील्ड के प्रोफ़ेसर पीटर स्ट्राइंग के मुताबिक दक्षिण वेल्स के पोर्ट टैलबोट में टाटा स्टील के साथ एक कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन (सीसीयू) पायलट योजना विकसित कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से CO2 को रिसाइकल करता है.
प्रोफ़ेसर स्टाइरिंग के अनुसार, इस योजना में एक संयंत्र की स्थापना की जाएगी जो फ़र्म के कार्बन उत्सर्जन को ईंधन में परिवर्तित करेगा. उन्होंने कहा. "हमारे पास हाइड्रोजन का एक सोर्स है, हमारे पास कार्बन डाइऑक्साइड का एक सोर्स है, हमारे पास गर्मी का एक सोर्स है. हम इसके जरिए रिन्यूएबल एनर्जी पैदा करेंगे. हम सिंथेटिक ईंधन बनाने जा रहे हैं."
सोशल मीडिया पर शेखर कपूर के इस बयान को मोदी के समर्थन में देखा जा रहा है.
इसकी एक वजह यह है कि बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में ख़ुद को एक मज़बूत सरकार के रूप में प्रचारित किया है और मतदाताओं से इस वजह को ध्यान में रखते हुए वोट डालने की अपील की है.
लेकिन शेखर कपूर के इस बयान पर कुछ लोग विरोध जता रहे हैं तो कुछ उनके समर्थन में बातें कर रहे हैं.
फ़िल्म निर्माता सिद्धार्थ बासु ने शेखर कपूर को उनके ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है, "शेखर, क्या आप ये बात गंभीरता से कह रहे हैं? बीते पांच सालों में मज़बूत और केंद्रीकृत सरकार से क्या हासिल हुआ? जो वादे किए गए थे उन्हें पूरा करने में ये सरकार विफल रही, कुछ सख़्त कदम उठाए गए जिनसे अर्थव्यवस्था को नुक़सान हुआ, संस्थाओं को बुरी बर्बाद किया गया, हत्या करने वाली भीड़ को खुला छोड़ा गया और युद्ध की बात करने वाले बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया गया."
वहीं, एक वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने लिखा है, "गठबंधन की राजनीति ने देश को 1947 में आज़ादी, 1977 में लोकतंत्र, 1991 में आर्थिक सुधार, 2004 में सर्वश्रेष्ठ सरकार दी है. भारत एक गठबंधन है."
बीआर प्रसाद नामक एक शख़्स ने शेखर कपूर के ट्वीट पर सहमति जताते हुए लिखा है, ''बिलकुल सही बात है, ट्विटर और एफ़बी पर एलीट लोग कुछ भी कहें, लेकिन पिछले पांच साल में भारत की पहचान और सम्मान वैश्विक तौर पर बढ़ा है. हालांकि हम विकास के मुद्दे पर अभी भी कुछ देशों से लगभग 100 साल पीछे चल रहे हैं. हमें एक मज़बूत और पूर्ण बहुमत वाली सरकार की ज़रूरत है.''
संतोष कुमार नामक ट्विटर यूज़र ने लिखा, ''एक मज़बूत सरकार ही कड़े फ़ैसले ले सकती है. जातिवाद, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोज़गारी यह सब बुराइयां इस सरकार से पहले भी मौजूद थीं. लेकिन इस सरकार ने भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और महिला सशक्तिकरण पर अच्छा काम किया है.''
कई ट्विटर यूज़र्स ने कथित रूप से मोदी सरकार के समर्थन में ट्वीट करने के लिए शेखर कपूर का शुक्रिया अदा किया है. आलोक जोशी नाम के ट्विटर यूज़र कहते हैं कि शेखर जी, वही तो लोग भी कह रहे हैं, फिर एक बार मोदी सरकार.
हालांकि, सोशल मीडिया शेखर कपूर के बयान पर बँटा हुआ दिखाई दे रहा है.
कई लोगों ने उन्हें मोदी भक्त की श्रेणी में खड़ा कर दिया है. लेकिन उनके बयान से ये स्पष्ट नहीं होता है कि वह किस पक्ष का समर्थन कर रहे हैं.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों
ने एक ऐसे रिसर्च केंद्र की योजना बनाई है जहां इस पृथ्वी को बचाने के नए
रास्ते तलाशे जा सकें.
इस रिसर्च में ऐसे तरीकों की खोज की जाएगी जिससे ध्रुवों की पिघल रही बर्फ को फिर से जमाया जा सके और वातावरण से
कार्बन डाई ऑक्साइड निकाली जा सके.इस केंद्र को इस लिए बनाया जा रहा है क्योंकि वर्तमान समय में पृथ्वी पर ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उठाए जा रहे क़दम नाकाफ़ी लग रहे हैं.
यह पहल ब्रितानी सरकार के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर सर डेविड किंग की ओर से कराई जा रही है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, ''आने वाले 10 सालों में हम जो भी करेंगे वह मानव जाति के अगले दस हज़ार सालों का भविष्य तय करेगा. इस दुनिया में ऐसा कोई भी एक केंद्र नहीं है दो इस बेहद महत्वपूर्ण विषय पर फ़ोकस हो.''
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डॉक्टर एमिली शुकबर्ग ने कहा, ''नए सेंटर का मिशन जलवायु समस्या को हल करना होना चाहिए और हम उस पर विफ़ल नहीं हो सकते."
सेंटर फॉर क्लाइमेट रिपेयर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कार्बन न्यूट्रल फ्यूचर्स इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व डॉक्टर शुकबर्ग कर रही हैं.
ये मुहिम सामाजिक वैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक साथ लाएगी.
डॉक्टर शुकबर्ग ने बीबीसी को बताया, "यह वास्तव में हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है, और हम जानते हैं कि हमें अपने सभी कोशिशों के साथ इसका जवाब देने की आवश्यकता है.''
ध्रुवों की बर्फ़ दोबारा जमाना
ध्रुवों पर बर्फ़ को जमाने की कोशिशों में सबसे कारगर कदमों में से एक होगा इनके ऊपर पड़ने वाले बादलों को "चमकदार" करना है.
इसके लिए बेहद पतली नली के माध्यम से बिना मानव रहित जहाजों पर लगाया जाएगा और समुद्री पानी को को पंप से खींचा जाएगा.
इससे नमक के कण नली में आएंगे. इन नमक को बादलों तक पहुंचाया जाएगा. इससे बादल गर्मी को और भी ज़्यादा रिफ़्लेक्ट कर सकेंगे.
CO2 को रिसाइकल करना
जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक और अहम तरीका है ' कार्बन कैप्चर और स्टोरेज' जिसे सीसीएस कहते हैं.
सीसीएस में कोयले या गैस से निकालती कार्बन डाई ऑक्साइड को बिजली स्टेशनों या इस्पात संयंत्रों से इकट्ठा करना और इसे अंडरग्राउंड स्टोर किया जाता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफ़ील्ड के प्रोफ़ेसर पीटर स्ट्राइंग के मुताबिक दक्षिण वेल्स के पोर्ट टैलबोट में टाटा स्टील के साथ एक कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन (सीसीयू) पायलट योजना विकसित कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से CO2 को रिसाइकल करता है.
प्रोफ़ेसर स्टाइरिंग के अनुसार, इस योजना में एक संयंत्र की स्थापना की जाएगी जो फ़र्म के कार्बन उत्सर्जन को ईंधन में परिवर्तित करेगा. उन्होंने कहा. "हमारे पास हाइड्रोजन का एक सोर्स है, हमारे पास कार्बन डाइऑक्साइड का एक सोर्स है, हमारे पास गर्मी का एक सोर्स है. हम इसके जरिए रिन्यूएबल एनर्जी पैदा करेंगे. हम सिंथेटिक ईंधन बनाने जा रहे हैं."
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